
रायगढ़।। महात्मा गांधी ग्रामीण औद्योगिक पार्क खोलने की तैयारी चल रही है। हर ब्लाॅक में दो-दो महात्मा गांधी ग्रामीण आद्योगिक पार्क (रीपा) खोले जाएंगे। करीब 14 गोठानों को चिन्हांकित किया गया है। पार्क को प्राइवेट एजेंसियों को लीज पर दिया जाएगा।
वहीं एनजीओ, स्वयं सहायता समूहों के साथ ग्राम महिला समूहों आजीविका के साधन की शुरुआत के लिए यह काम किया जाएगा। ऐसे प्रोडक्ट्स बनाए जाएंगे, जो उपयोगी हों और तुरंत बिकें। इनसे होने वाली समूहों को दी जाएगी।
हालांकि गोठानों में यह प्रयास पहले मल्टीएक्टिी सेंटर नाम पर किया जाता रहा है। गोठानों में ही एक जगह बनाई जाएगी, जिसमें आजीविका के साधन होंगे। इसमें खासकर पुसौर में तरड़ा, सूपा रायगढ़ में पंडरीपानी पश्चिम, डोंगीतराई, तमनार ब्लॉक का तमनार, मिलूपारा, घरघोड़ा के ढ़ोरम, भैय्यामुड़ा, धरमजयगढ़ में दुर्गापुर और बरतापाली, लैलूंगा में मुगडेगा और कोड़ासिया में ही ग्रामीण औद्योगिक पार्क को खोलने की तैयारियां है।
एक-एक रीपा में दो करोड़ रुपए का आएगा खर्च
रीपा के तहत करीब दो करोड़ खर्च होना है। 60 फीसदी रकम गोठान में नए निर्माण के लिए है। इसमें कमरे या बड़ा शेड बनाना है, जिसमें महिलाएं या ग्रामीण वहां काम कर सकें। 20 फीसदी रकम मशीनरी (महिला स्वयं सहायता समूह को), 17.5 फीसदी रकम मार्केटिंग, ट्रेनिंग, ट्रेडिंग के लिए देंगे। 2.5 फीसदी रकम टैक्निकल सपोर्ट एजेंसी को दी जाएगी।
योजनाएं अच्छीं, पर अमल कराना बड़ी चुनौती होगी
पहले भी रूरल इंडस्ट्रियल पार्क के नाम से लांच किया गया। बाद में नाम बदल दिया गया, जिसे मल्टीएक्टिविटी सेंटर के नाम से लांच किया गया, जो अभी 300 गोठानों में चल रहे हैं। इनमें अगरबत्ती, दीया-बाती, मसाला जैसे कई तरह के प्रोडक्ट्स बनाए जा रहे हैं, लेकिन डीएमएफ फंड कई सेंटरों में महिलाओं के आजीविका के लिए चक्की मशीन तो कहीं बेकरी यूनिट जैसे कई तरह प्रयोग हुए। कई गोठानों में यह बंद हो गए। अब रीपा के तहत इसे शुरू किया जा रहा है।
सरकार प्लेटफाॅर्म बनाकर देगी, एजेंसी भी तय होगी
रीपा के प्रोजेक्ट ऑफिसर राजेश साहू ने बताया कि इस पूरे प्लेटफाॅर्म को जिला पंचायत के माध्यम से बनाकर देगी। हालांकि इसके लिए अभी तकनीकी स्वीकृति प्रक्रिया चल रही है। महिला स्वयं सहायता समूह, एनजीओ, निजी उद्यमी जो पंचायत या आसपास इलाकों से जुड़ा हुआ है, वह इसे खोलेगा। प्राइवेट उद्यमियों को इसे लीज पर दिया जाएगा। जनपद या जिला पंचायत से लीज करना होगा। इसमें स्थानीय हो या कोई प्रोडक्ट्स हो, जिसका उपयोग मार्केट में होता हो, उसे बनाया जाएगा। फिर मार्केट में बेचने प्लेटफाॅर्म उपलब्ध कराया जाएगा। तकनीकी सपोर्ट के लिए एजेंसी भी होगी।